क्या आपका बच्चा भी बहुत रोता है? रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं

 क्या आपका बच्चा भी बहुत रोता है? रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं


क्या आपका बच्चा भी बहुत रोता है
क्या आपका बच्चा भी बहुत रोता है

मेरा शिशु रोता क्यों हैं?

आपका शिशु पूरी तरह से आप पर आश्रित है। आप उसे भोजन, प्यार-दुलार और आराम प्रदान करती हैं, जिसकी उसे जरुरत होती है। जब वह रोता है, तो यह यह बताना चाहता है कि उसे इसमें से किसी एक या फिर सभी चीजों की जरुरत है और वह आपकी तरफ से प्रतिक्रिया भी चाहता है।


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कई बार यह पता लगाना मुश्किल होता है कि शिशु आपको क्या बताना चाह रहा है। लेकिन समय के साथ आप पहचानने और समझने लगेंगी कि आपका शिशु क्या चाहता है।


जैसे जैसे आपका शिशु बढ़ता है वह आप के साथ बातचीत करने के अन्य तरीके सीख लेता है। वह आँखों का सम्पर्क बनाने, शोर मचाने या मुस्कुराने में माहिर होता जाएगा। ये सभी तरीके आपका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए शिशु की रोने की आवश्यकता को कम कर देंगे।


इस बीच, यहां शिशु के रोने के कुछ कारण बताए गए हैं:

भूख यह आपके नवजात शिशु के रोने के सबसे आम कारणों में से एक है।आपका शिशु जितना छोटा होगा, उसके भूख से रोने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।

नैपी (लंगोट) बदलने की जरुरत। यदि शिशु नैपी में मलत्याग कर दे, पेशाब कर दे या फिर उसे कपड़े तंग लगें तो वह रोना शुरु कर सकता है। या फिर हो सकता है कि उसका डायपर पेशाब से भर जाने के बाद भी उसे कुछ फर्क न पड़े और वह इससे मिलने वाली गर्माहट और आरामदायह अनुभव का मजा ले रहा हो। मगर यदि आपके शिशु की नाजुक त्वचा में जलन हो रही हो, तो वह संभवतया रोएगा ही।

अत्याधिक गर्मी या सर्दी महसूस होना। नवजात शिशु अपने शरीर का तापमान आसानी से नियंत्रित नहीं कर सकते। यदि उसे बहुत अधिक गर्मी लगे या सर्दी लगे, तो वह रोना शुरु कर सकता है।

गोद में आना चाहता है।आपका शिशु आपका बहुत सारा प्यार-दुलार, शरीरिक संपर्क और आराम दिलवाने का आश्ववासन चाहता है। इसलिए हो सकता है कि वह केवल आपकी गोद में आना चाहता हो।

शिशु थक गया है और आराम चाहता है।अक्सर, शिशुओं को सोने में काफी मुश्किल होती है, खासकर यदि वे बहुत ज्यादा थक गए हों तो। आप जल्द ही शिशु की नींद के संकेतों को पहचानने लगेंगी। छोटी सी बात पर ठिनठिनाना या रोना, छत पर टकटकी लगाकर देखना और एकदम शांत और स्थिर हो जाना, उसके नींद आने के संकेतों के तीन उदाहरण हैं।

उसे कॉलिक है। कई बार जब शिशु रोता है, तो आप शायद पता नहीं लगा पाएं कि उसके रोने की क्या वजह है। बहुत से नवजात शिशु चिड़चिड़ाहट के चरण से गुजरते हैं और आसानी से शांत नहीं होते। यदि आपका शिशु कुछ मिनटों तक शांत करवाने पर भी शांत न हो और रोता ही जाए या फिर वह कई घंटों तक लगातार रोता रहे, तो इसे कॉलिक कहा जाता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कॉलिक पर हमारा यह लेख पढ़ें।

तबियत ठीक नहीं है। यदि आपके शिशु की तबियत ठीक न हो, तो वह शायद अपने सामान्य से अलग स्वर में रोएगा। यह स्वर कमजोर, अधिक आग्रहपूर्ण, लगातार या फिर ऊंचे स्वर में हो सकता है। यदि शिशु आमतौर पर काफी ज्यादा रोता है, मगर अब असामान्य ढंग से शांत सा हो गया है, तो यह भी एक संकेत है कि उसकी तबियत सही नहीं है।


मैं अपने रोते हुए शिशु को कैसे शांत करा सकती हूं?

जब आप शिशु के रोने के पीछे का कारण समझ लेती हैं, आपके लिए उसकी जरुरत के आधार पर उसे शांत कराना आसान हो सकता है।


यदि आपका शिशु भूखा है

आपके शिशु का नन्हा सा पेट बहुत ज्यादा संग्रह करके नहीं रख सकता। इसलिए वह जल्द ही खाली हो जाता है।


यदि आप शिशु को स्तनपान करवाती हैं, तो उसे फिर से दूध पिलाकर देखें, फिर चाहे उसने थोड़ी देर पहले ही स्तनपान किया हो। इसे 'फीडिंग आॅन डिमांड' कहा जाता है।


यदि आप शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाती हैं, तो शायद दूध पिलाने के दो घंटे बाद तक शिशु को और अधिक दूध पिलाने की जरुरत न हो। हालांकि, हर शिशु अलग होता है। यदि आपका शिशु लगातार अपना पूरा दूध नहीं पीता है, तो वह शायद थोड़ा-थोड़ा दूध बार-बार पीना चाहे। ऐसे मामले में, आप उसे दोबारा जल्द दूध पिलाकर देख सकती हैं।


हो सकता है आपका शिशु तुरंत ही शांत न हो, मगर यदि वह चाहता है तो उसे दूध पिलाती रहें।


यदि शिशु को डायपर बदलवाने की जरुरत है

कुछ शिशुओं को अपनी नैपी बदलवाना पसंद नहीं आता, ऐसा शायद त्वचा पर ठंडी हवा लगने की अलग सी अनुभूति की वजह से हो सकता है। एक या दो सप्ताह बाद आप शायद शिशु की नैपी जल्द बदल लेने में माहिर हो जाएंगी। अन्यथा, आप लंगोट बदलने के समय कोई गाना गाकर या खिलौना दिखाकर आप शिशु का ध्यान बंटा सकती हैं।


जब शिशु को बहुत गर्मी या सर्दी लगे

आप शिशु का पेट छूकर पता कर सकती हैं कि उसे ज्यादा गर्मी या सर्दी तो नहीं लग रही है। आप उसके हाथों या पैरों को छूकर उसके शरीर के तापमान का अंदाजा न लगाएं। ये आमतौर पर ठंडे ही महसूस होते हैं।


शिशु के लिए अलग चादर और कंबल का इस्तेमाल करें। यदि शिशु का पेट अत्याधिक गर्म महसूस हो, एक कंबल हटा दें, और यदि यह ठंडा महसूस हो, तो एक और ओढ़ा दें ।


शिशु जिस कमरे में रहता है, उसका तापमान मौसम के अनुसार 23 और 25 डिग्री सेल्सियस के बीच में रखें। यदि आपका शिशु आपके साथ आपके बिस्तर पर सोता है, तो आपके शरीर के संपर्क में रहने से उसकी त्वचा का तापमान बढ़ जाता है, तो उसे गर्माहट महसूस हो सकती है।


यदि शिशु कॉट में सोता है, तो उसे पीठ के बल सुलाएं और उसे पैर कॉट के अंतिम किनारे को छूने चाहिए। इस तरह वह हिल-डुलकर कंबल के अंदर खिसक नहीं सकेगा और उसे अधिक गर्मी नहीं लगेगी।


ध्यान रखें कि शिशु को जरुरत से ज्यादा कपड़े न पहनाएं, वरना उसे अधिक गर्मी लग सकती है। उसे आमतौर पर आरामदायक रहने के लिए आप से एक परत अधिक कपड़े पहनने की जरुरत होती है।


साथ ही, बिजली कटौती को भी ध्यान में रखें, जिसकी वजह से बिजली के उपकरण चलना बंद हो जाते हैं। यदि एसी और कूलर बंद हों, तो शिशु के कपड़ों की एक परत कम कर दें। सर्दियों में यदि हीटर और ब्लोअर बंद हो जाएं, तो जरुरत के अनुसार शिशु को एक परत कपड़े और पहना दें।


यदि आपका शिशु गोद में आना चाहे

उसे गोद में लें और सीने से लगाएं। आप शायद इस बात को लेकर चिंतित हों कि शिशु को गोद में ज्यादा रखने से उसे इसकी आदत पड़ जाएगी। मगर शुरुआती कुछ महीनों में ऐसा संभव नहीं है। छोटे शिशुओं को शारीरिक आराम की बहुत जरुरत होती है। यदि आप शिशु को गोद में अपने नजदीक रखेंगी, तो उसे आपके दिल की धड़कन सुनकर भी आराम मिलेगा।


यदि शिशु आराम चाहता है

उदाहरण के तौर पर, यदि आपके शिशु को अत्याधिक प्यार करने वाले दादा-दादी या नाना-नानी या फिर मिलने आने वाले दोस्तों-रिश्तेदारों का बहुत अधिक ध्यान व प्यार मिला हो, तो वह अति-क्रियाशील हो सकता है। इसके बाद, जब सोने के बात आती है, तो उसे शांत होने और सोने में मुश्किल हो सकती है।


अपने शिशु को सुलाने के लिए किसी शांत जगह पर ले जाएं। रोशनी कम कर दें और उसे शांत होने में मदद करें। शिशु की नींद के बारे में यहा और अधिक पढ़ें।


यदि आपका शिशु लगातार रोए

बहुत से माता-पिता कॉलिक से ग्रस्त शिशु को शांत कराना बहुत मुश्किल समझते हैं और यह पूरे परिवार को तनाव में डाल सकता है। कॉलिक का कोई जादुई उपचार नहीं है, मगर इसका तीन महीने से ज्यादा रहना दुर्लभ ही है। यदि आप यह तथ्य समझ लें कि यह चरण जल्द ही समाप्त हो जाएगा, तो आपके लिए फायदेमंद रहेगा।


मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु अस्वस्थ है और उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए?

यदि आपके शिशु की तबियत ठीक न हो, तो उसे शांत करवाने की आपकी रणनीति थोड़ी सी अलग होगी।


कोई भी आपके शिशु को आपसे बेहतर नहीं जान सकता। यदि आपको लगता है कि आपके शिशु की तबियत ठीक नहीं लग रही, तो डॉक्टर से संपर्क करें। अगर शिशु को रोते समय सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो उसे नजदीकी अस्पताल ले जाएं।


डॉक्टर को तुरंत फोन करें, यदि:

वह लगातार रो रहा है, और उसे बुखार है।

वह उल्टी कर रहा है

उसे दस्त (डायरिया) या कब्ज है।


दांत निकलने पर भी शिशु सामान्य से ज्यादा चिड़चिड़े हो सकते हैं। नया दांत निकलने के एक सप्ताह पहले से ही अक्सर शिशु चिड़चिड़ा और बेचैन सा हो जाता है। शिशुओं के दांत निकलने के बारे में हमारा यह लेख पढ़ें।


मेरा शिशु अब भी रो रहा है? मैं उसे कैसे शांत करा सकती हूं?

धीरे-धीरे जैसे आप शिशु के व्यक्तित्व को जानने लगती हैं, आप समझने लगेंगी कि उसके लिए कौन सी तकनीक बेहतर कार्य करती है। यदि प्यार-दुलार से बात न बने, तो नीचे दिए गए सुझाव काम आ सकते हैं:


उसे लपेटें और कस कर पकड़ें

नवजात शिशु लिपटना और सुरक्षित महसूस करना अवश्य ही पसंद करते हैं, जैसे कि वह गर्भ में रहते थे। इसलिए आप अपने शिशु को कंबल में लपेटकर (स्वोडलिंग) देख सकती हैं, कि वह इसे पसंद करता है या नहीं।


कई माता पिता यह पाते हैं की उनके शिशु को सटाकर गोद में लेने से, खासकर जब वह आपके दिल की धड़कन को सुन सके, या फिर बेबी स्लिंग में लेकर अपने नजदीक रखने से काफी आरामदायम महसूस करते हैं। कुछ शिशु ऐसे भी होते हैं जिन्हें लिपटे हुए रहना काफी प्रतिबंधात्मक लगता है और वे आश्ववासन के अन्य तरीकों जैसे कि गोद में लेकर हिलाना-डुलाना या गाना गाकर सुनाने के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं।.


एक स्थिर ध्वनि खोजें

गर्भ में आपका शिशु आपके दिल की धड़कन लगातार सुनता रहता है, इसलिए वह गोद में आपके नजदीक रहना पसंद करता है। ऐसी कई अन्य दोहराई गई आवाजें हैं, जो शिशु को शांति प्रदान कर सकती हैं।


कई माता पिता पाते हैं कि घड़ी की टिक-टिक की स्थिर लय अक्सर शिशु को शांत कर देती है और यह सुनते-सुनते वह सो जाता है। आप शिशु को कोई धीमा संगीत या लोरी गाकर भी सुना सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान आप जो गर्भ संस्कार संगीत सुनती थीं, वह भी शिशु के लिए चला सकती हैं।


आप अपने फोन में व्हाइट-नॉइस की आवाज या व्हाइट-नॉइस ऐप डाउनलोड कर सकती हैं, या फिर शिशुओं के लिए तैयार की गई व्हाइट-नॉइस सी.डी. भी खरीद सकती हैं। ये गर्भाशय में सुनाई देने वाली आवाजों की नकल होती है और आपके रोते हुए शिशु को शांत करा सकती हैं।


शिशु को हिलाते-डुलाते हुए सुलाएं

आमतौर पर शिशु धीरे-धीरे हिलना पसंद करते हैं। आप निम्न तरीके अपना सकती हैं:

आप टहलते हुए उसे हिलाएं-डुलाएं।

उसे गोद में लेकर हिलने वाली कुर्सी में बैठें।

यदि शिशु थोड़ा बड़ा है, तो उसे सुरक्षित ढंग से शिशु झूले पर बिठाएं।

अपनी कार में उसे कहीं घुमाने ले जाएं।

उसे प्रैम या स्ट्रॉलर में चहलकदमी के लिए ले जाएं।


आरामदेह मालिश या पेट मलकर देखिए

मालिश के तेलों या क्रीम का इस्तेमाल करते हुए हल्के से शिशु की पीठ या पेट पर मालिश करने से उसे आराम मिल सकता है। इससे आपको भी बेहतर महसूस हो सकता है, क्योंकि यह शिशु की परेशानी को दूर करने का आजमाया हुआ तरीका है।


शिशु की मालिश के बारे में हमारा या स्लाइडशो देखें।


दूध पिलाने के लिए अलग अवस्था आजमाएं

कुछ बच्चे दूध पीते समय या बाद में रोते हैं। यदि आप स्तनपान कराती हैं, तो हो सकता है आप पाएं कि शिशु को आराम से मुंह में स्तन देने पर उसे बिना रोए शांति से दूध पीने में मदद मिलती है।


अगर दूध पीने के दौरान शिशु को दर्दभरी गैस हो रही है, तो आप उसे और अधिक सीधा करके दूध पिलाने का प्रयास कर सकती हैं। शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे गोद में कंधो की तरफ लेकर डकार अवश्य दिलाएं। यदि आपका शिशु दूध पीने के तुंरत बाद रोए, तो हो सकता है वह अभी और भूखा हो।


उसे कुछ चूसने दें

कुछ नवजातों में चूसने की इच्छा काफी तीव्र होती है। स्तनपान के दौरान स्तन को चूसना, साफ उंगली चूसना या फिर चूसनी (सूदर या पैसिफायर) को चूसना उसे काफी आरामदेह लग सकता है। आराम पाने के लिए चूसना (कम्फर्ट सकिंग) शिशु के दिल की धड़कन को नियमित कर सकता है, उसके पेट को आराम पहुंचाता है, और उसे सोने में मदद करता है।


उसे एक गुनगुना स्नान दें

गुनगुने पानी से नहाने से आपके शिशु को आराम मिल सकता है, साथ ही यह उसे सोने में भी मदद कर सकता है। शिशु को टब में रखने से पहले पानी का तापमान जांच लें। मगर यह बात भी ध्यान में रखें की अगर शिशु को नहाना पसंद नहीं है तो ऐसे में वह और अधिक रोना शुरु कर सकता है। जल्द ही, आप शिशु की पसंद व नापसंद को समझने लगेंगी।


मेरा शिशु अब भी अधिकांश समय रोता रहता है, मैं क्या करुं?

यदि शिशु के साथ कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है, उसका पेट भरा हुआ है, उसे प्यार-दुलार मिल रहा है और वह आरामदायक होने के बावजूद भी रो रहा है, तो आप ज्यादा परेशान न हों। वह खुद को कोई दीर्घकालीन नुकसान नहीं पहुंचाएगा और स्वस्थ शिशु का लगातार रोना भी एकदम सामान्य है। हालांकि, यह आपके लिए, आपके पति और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए तनाव और चिंता का कारण हो सकता है।


यदि शिशु अप्रसन्न है और शांत करवाने के सभी प्रयासों को नकार रहा है, तो आप अस्वीकृत और कुंठित महसूस कर सकती हैं। मगर उसके रोने का कारण आप नहीं हैं, इसलिए खुद को दोष न दें।


यदि आपने शिशु की सभी तत्कालीन जरुरतें पूरी कर दी हैं और उसे शांत कराने का हर संभव प्रयास नाकाम रहा है, तो समय है कि आप अपना ध्यान रखें:

यदि आप बाद प्रसवोत्तर एकांतवास में हैं या फिर संयुक्त परिवार में रहती हैं, तो आपको मिल रहे सहयोग और मदद का पूरा फायदा उठाएं।

कुछ शांत संगीत चलाएं और कुछ पलों के लिए आराम करें।

शिशु को उसकी कॉट में लिटा दें और उसे कुछ देर के लिए रोने दें। आप ऐसी जगह जाएं, जहां से आपको शिशु के रोने की आवाज न सुनाई दे। गहरी सांसे लें।

यदि आप और आपका शिशु दोनों ही परेशान हैं और आपकी सारी कोशिशें नकाम सी लग रहीं है, तो खुद थोड़ा अंतराल लें और अपने पति या घर के किसी नजदीकी सदस्य को शिशु को संभालने के लिए कहें।

अपने डॉक्टर, दोस्तों या माता-पिता और शिशुओं के ग्रुप से इससे निपटने की रणनीति के बारे में पूछें। आप हमारी कम्युनिटी में शामिल होकर दूसरे नए अभिभावकों से अपने अनुभव साझा कर सकती हैं और इस स्थिति से निपटने के तरीकों पर चर्चा कर सकती हैं।

रोने का यह एक चरण है और यह जल्द ही गुजर जाएगा। नवजात शिशुओं को संभालना मेहनत का काम है। और बहुत अधिक रोने वाले नवजात के माता-पिता होना और ज्यादा मेहनत भरा है। मगर जरुरत पड़ने पर सहयोग और मदद लें, चीजों को गंभीर रूप न लेने दें।


खुद को याद दिलाएं कि आपके शिशु के साथ कोई समस्या नहीं है और रोने से उसको नुकसान नहीं पहुंचेगा। कई बार यह मान लेना कि आपका अन्य की तुलना में बच्चा ज्यादा रोता है, मददगार साबित होता है। इस तरह आप उसके रोने के कारणों को ढूंढ़ने के लिए परेशान नहीं होंगी, खुद को इसका जिम्मेदार नहीं मानेंगी या बार-बार संभावित उपचारों को आजमाकर नहीं देखेंगी।


चिंता न करें, आपका शिशु बड़ा होने के साथ-साथ अपनी जरुरतें आप तक पहुंचाने के लिए नए तरीके ढूंढ़ लेगा। और जब ऐसा होगा, उसका रोना बंद हो जाएगा।

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